
Hello Friends
फेसबुक पर राहुल आप की आवाज नाम से सक्रिय सज्जन की कविता। अच्छी लगी सो यहां साझा कर रहा हूं।
बाबा जंगल जा रही हूँ
लकड़ी लेने
दोपहर तक ना लौटूं
मुझे तलाशने आना ।बाबा ध्यान से चलनामेरी टूटी हुई चूड़ीतेरे पैरो में नागड़ जाये ।बाबा देखनाकिसी पेड़ की उतारी छालऔर समझ लेनाजबरदस्ती किसी नेऐसे ही कपड़े उतार केतार-तार किया होगा ।बाबा देखना कुचली हुई घासऔर समझ लेनाकिस तरह रौंदा गया होगाजिस्म को पैरो तले।बाबा ध्यान से सुननादूर पहाड़...